Hydroelectric Power Plants in India: जलविद्युत ऊर्जा संयंत्र, जिसे हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट भी कहा जाता है, भारत के ऊर्जा स्रोतों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। ये संयंत्र पानी की गतिज ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं, जो आमतौर पर बांधों और जलाशयों के माध्यम से होता है। भारत में जलविद्युत ऊर्जा का विकास प्राकृतिक संसाधनों के कुशल उपयोग के साथ-साथ स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा के प्रसार के लिए महत्वपूर्ण है। जलविद्युत ऊर्जा संयंत्र न केवल देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करते हैं, बल्कि वे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में भी योगदान देते हैं।
भारत में जलविद्युत ऊर्जा संयंत्र
भारत में कई प्रमुख जलविद्युत ऊर्जा संयंत्र हैं, जो हिमालयी नदियों से लेकर दक्षिण भारत की नदियों तक फैले हुए हैं। इनमें से कुछ बड़े संयंत्रों में भाखड़ा नांगल, टिहरी, और श्रीसेलम शामिल हैं। ये संयंत्र न केवल बिजली उत्पादन में मदद करते हैं, बल्कि वे सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण, और जल प्रबंधन के लिए भी उपयोगी हैं। इस लेख में, हम भारत के प्रमुख जलविद्युत ऊर्जा संयंत्रों, उनके महत्व, और उनकी ऊर्जा उत्पादन क्षमता के बारे में चर्चा करेंगे, साथ ही जलविद्युत ऊर्जा के पर्यावरणीय और सामाजिक लाभों पर भी प्रकाश डालेंगे।
जलविद्युत ऊर्जा संयंत्र क्या है?
जलविद्युत ऊर्जा संयंत्र एक ऐसी सुविधा है जो बिजली उत्पादन के लिए पानी से उत्पन्न ऊर्जा का उपयोग करती है। पानी को ज्यादातर बांध या इसी तरह की संरचना के माध्यम से प्रवाहित किया जाता है। जिसके बाद, पानी एक टरबाइन से होकर गुजरता है, जो फिर बिजली बनाने के लिए एक जनरेटर चलाता है।
विश्व भर में जलविद्युत ऊर्जा का उपयोग कितने व्यापक रूप से किया जाता है?
जलविद्युत ऊर्जा सबसे व्यापक रूप से उपयोग किया जाने वाला नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है। चीन दुनिया का सबसे बड़ा जलविद्युत उत्पादक है। संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राज़ील, कनाडा, भारत और रूस दुनिया के शीर्ष जलविद्युत उत्पादकों में से हैं। ग्रह पर उत्पादित सभी नवीकरणीय बिजली का लगभग 71% हिस्सा जलविद्युत का है।
भारत में जलविद्युत संयंत्र की सूची
भारत में जलविद्युत संयंत्र देश की ऊर्जा आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि वे स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा का स्रोत प्रदान करते हैं। भारत में कई प्रमुख जलविद्युत संयंत्र हैं, जो विभिन्न नदियों और जलाशयों से ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। यहाँ भारत के कुछ प्रमुख जलविद्युत संयंत्रों की सूची दी गई है:
भारत में जलविद्युत संयंत्र | |||
जलविद्युत संयंत्र | नदी | राज्य | क्षमता |
नागार्जुन सागर बांध | कृष्णा | आंध्र प्रदेश | 816 मेगावाट |
श्रीशैलम राइट बैंक पावर स्टेशन परियोजना | कृष्णा | आंध्र प्रदेश | 770 मेगावाट |
शिवानासमुद्र जल विद्युत परियोजना | कावेरी | आंध्र प्रदेश | 42 मेगावाट |
कार्बी लैंगपी हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट (केएलएचईपी) | बोरपानी नदी | असम | 100 मेगावाट |
कोपिली हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट | कोपिली नदी | असम | 275 मेगावाट |
कामेंग हाइड्रो पावर स्टेशन | बिचोम और टेंगा नदियाँ | अरुणाचल प्रदेश | 600 मेगावाट |
रंगानदी हाइड्रो पावर स्टेशन | रंगानदी नदी | अरुणाचल प्रदेश | 405 मेगावाट |
सुबनसिरी लोअर हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट | सुबानसिरी | अरुणाचल प्रदेश | 2000 मेगावाट (नियोजित) |
डगमारा हाइड्रो-इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट | कोसी नदी | बिहार | 130 मेगावाट (नियोजित) |
हसदेव बांगो बांध | हसदेव नदी | छत्तीसगढ | 120 मेगावाट |
सरदार सरोवर परियोजना | नर्मदा नदी | गुजरात | रिवर बेड पावर हाउस (आरबीपीएच) – 1200 मेगावाट
कनाल हेड पावर हाउस (सीएचपीएच) – 250 मेगावाट |
भाखड़ा जलविद्युत परियोजना | सतलुज | हिमाचल प्रदेश | 1325 मेगावाट |
पोंग जलविद्युत परियोजना | ब्यास नदी | हिमाचल प्रदेश | 396 मेगावाट |
देहर जलविद्युत परियोजना | ब्यास नदी | हिमाचल प्रदेश | 990 मेगावाट |
नाथपा झाकड़ी जलविद्युत परियोजना | सतलुज नदी | हिमाचल प्रदेश | 1500 मेगावॉट |
करछम वांगतू जलविद्युत संयंत्र | सतलुज नदी | हिमाचल प्रदेश | 1091 मेगावाट |
कोल्डम हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्लांट | सतलुज नदी | हिमाचल प्रदेश | 800 मेगावाट |
बगलिहार चरण- I जलविद्युत परियोजना | चिनाब नदी | जम्मू और कश्मीर | 450 मेगावाट |
सलाल हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्लांट | चिनाब नदी | जम्मू और कश्मीर | 720 मेगावाट |
उरी-I उरी पावर स्टेशन | झेलम नदी | जम्मू और कश्मीर | 480 मेगावाट |
पकल दुल जलविद्युत परियोजना | मरुसुदर | जम्मू और कश्मीर | 1000 मेगावाट |
सुवर्णरेखा हाइडल पावर प्रोजेक्ट | सुवर्णरेखा नदी | झारखंड | 130 मेगावाट |
अलमाटी जलविद्युत परियोजना | कृष्णा नदी | कर्नाटक | 290 मेगावाट |
शरावती हाइड्रो पावर प्लांट | शरावती नदी | कर्नाटक | 1035 मेगावाट |
पल्लीवसल जलविद्युत परियोजना | पेरियार नदी | केरल | 37.5 मेगावाट |
इडुक्की जलविद्युत परियोजना | पेरियार नदी | केरल | 780 मेगावाट |
इंदिरा सागर जलविद्युत परियोजना | नर्मदा नदी | मध्य प्रदेश | 1000 मेगावाट |
बाणसागर जलविद्युत परियोजना | सोन नदी | मध्य प्रदेश | 435 मेगावाट |
कोयना (पोफली) जलविद्युत परियोजना | क्योना नदी | महाराष्ट्र | 1960 मेगावाट |
दिखु जलविद्युत परियोजना | दिखु नदी और यांग्नु नदी | नगालैंड | 186 मेगावाट |
हीराकुंड जलविद्युत परियोजना | महानदी | ओडिशा | 276 मेगावाट |
बालिमेला जलविद्युत परियोजना | सिलेरू नदी | ओडिशा | 510 मेगावाट |
आनंदपुर साहिब जलविद्युत परियोजना | सतलुज नदी | पंजाब | 134 मेगावाट |
रंजीत सागर बांध जलविद्युत परियोजना | रावी नदी | पंजाब | 600 मेगावाट |
तीस्ता-VI जलविद्युत परियोजना | तीस्ता नदी | सिक्किम | 500 मेगावाट |
कुंदा जलविद्युत परियोजना | भवानी नदी | तमिलनाडु | 585 मेगावाट |
कदमपरई जलविद्युत परियोजना | कदमपारी नदी | तमिलनाडु | 400 मेगावाट |
श्रीशैलम लेफ्ट बैंक हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट | कृष्णा नदी | तेलंगाना | 900 मेगावाट |
रिहंद जलविद्युत परियोजना | रिहंद नदी | उत्तर प्रदेश | 300 मेगावाट |
टिहरी जलविद्युत परियोजना | भागीरथी नदी | उत्तराखंड | 2400 मेगावाट |
किशाऊ बांध जलविद्युत परियोजना | टोंस नदी | उत्तराखंड | 660 मेगावाट |
कोटली भेल बांध | गंगा | उत्तराखंड | 1000 मेगावाट |
जलविद्युत ऊर्जा के लाभ
जलविद्युत ऊर्जा, जिसे हाइड्रोइलेक्ट्रिक ऊर्जा भी कहा जाता है, एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है जो पानी की गतिज ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है। यह ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहाँ पानी की प्रचुरता है। यहाँ जलविद्युत ऊर्जा के कुछ प्रमुख लाभ दिए गए हैं:
- नवीकरणीय और स्वच्छ: जलविद्युत ऊर्जा नवीकरणीय है, क्योंकि यह पानी के प्रवाह पर निर्भर करती है, जो प्राकृतिक रूप से पुनःपूर्ति होती रहती है। यह ऊर्जा स्रोत स्वच्छ है, क्योंकि इसमें ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और अन्य प्रदूषकों का उत्पादन बहुत कम होता है।
- ऊर्जा उत्पादन की विश्वसनीयता: जलविद्युत संयंत्र स्थिर और विश्वसनीय ऊर्जा स्रोत प्रदान करते हैं। एक बार जब एक जलविद्युत बांध और संयंत्र स्थापित हो जाता है, तो यह वर्षों तक ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है।
- लागत-प्रभावी: जलविद्युत ऊर्जा की परिचालन लागत अन्य ऊर्जा स्रोतों की तुलना में कम होती है, क्योंकि इसमें जीवाश्म ईंधन की आवश्यकता नहीं होती। यह एक बार के निर्माण के बाद लंबी अवधि में लागत-प्रभावी साबित होता है।
- पारिस्थितिकीय और सामाजिक लाभ: जलविद्युत संयंत्रों के साथ-साथ बांध और जलाशय सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण, और जल प्रबंधन के लिए उपयोगी हो सकते हैं। वे कृषि और स्थानीय समुदायों के लिए महत्वपूर्ण संसाधन प्रदान करते हैं।
- ऊर्जा भंडारण क्षमता: कुछ जलविद्युत संयंत्र, जैसे पंप-स्टोरेज संयंत्र, ऊर्जा भंडारण के लिए उपयोग किए जा सकते हैं। यह पंप-स्टोरेज तकनीक ऊर्जा ग्रिड की स्थिरता और लचीलापन बढ़ाती है।
- बिजली की तीव्र उत्पादन क्षमता: जलविद्युत संयंत्र बिजली उत्पादन को तीव्रता से बढ़ा या घटा सकते हैं, जिससे यह ऊर्जा ग्रिड की मांगों के अनुसार अनुकूलित हो सकता है।
- पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने की संभावना: जलविद्युत ऊर्जा के पर्यावरणीय प्रभाव अन्य ऊर्जा स्रोतों की तुलना में कम होते हैं। साथ ही, जलविद्युत संयंत्रों को पर्यावरण-अनुकूल तरीके से डिजाइन और प्रबंधित किया जा सकता है।
जलविद्युत उत्पादन में चुनौतियाँ
जलविद्युत ऊर्जा, जो हाइड्रोइलेक्ट्रिक ऊर्जा के रूप में भी जानी जाती है, ऊर्जा उत्पादन का एक महत्वपूर्ण और नवीकरणीय स्रोत है। हालांकि, जलविद्युत उत्पादन में कई चुनौतियाँ और समस्याएँ हैं, जो इसके पर्यावरणीय, सामाजिक, और तकनीकी पहलुओं से संबंधित हैं। यहाँ जलविद्युत उत्पादन में प्रमुख चुनौतियाँ दी गई हैं:
- पर्यावरणीय प्रभाव: जलविद्युत संयंत्रों के निर्माण के लिए अक्सर बड़े बांध और जलाशय बनाए जाते हैं, जिससे प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र पर असर पड़ सकता है। यह मछली प्रजातियों, जलीय जीवों, और वन्यजीवों के आवास को प्रभावित कर सकता है।
- भूमि और समुदायों पर असर: बांधों के निर्माण के कारण बड़े क्षेत्रों का जलमग्न होना पड़ता है, जिससे स्थानीय समुदायों को विस्थापित होना पड़ सकता है। यह सामाजिक और सांस्कृतिक समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है, क्योंकि विस्थापित लोगों को पुनर्वासित करना और उनके लिए आजीविका का प्रबंध करना चुनौतीपूर्ण होता है।
- जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन के कारण जलविद्युत उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप बारिश के पैटर्न और जल स्तर में बदलाव आ सकता है, जिससे जलविद्युत संयंत्रों की उत्पादकता प्रभावित हो सकती है।
- महंगी प्रारंभिक लागत: जलविद्युत संयंत्रों के निर्माण की प्रारंभिक लागत बहुत अधिक हो सकती है, क्योंकि इसमें बांधों, जलाशयों, और अन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण शामिल होता है। यह निवेश के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है।
- सुरक्षा और आपदा जोखिम: बड़े बांध और जलाशय बाढ़, भूकंप, और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के लिए संवेदनशील हो सकते हैं। अगर बांध फट जाए, तो इसके परिणामस्वरूप गंभीर नुकसान हो सकता है, जिससे सुरक्षा के लिए विशेष ध्यान देना आवश्यक होता है।
- सीमित स्थान और प्राकृतिक संसाधनों की निर्भरता: जलविद्युत उत्पादन के लिए विशेष भूगोलिक स्थितियों की आवश्यकता होती है, जैसे कि ऊँचाई से गिरते हुए पानी का स्रोत। सभी स्थानों पर यह संभव नहीं होता, जिससे इसकी सीमाएँ होती हैं।