भारतीय बैंकिंग प्रणाली देश की आर्थिक धारा को संचालित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारतीय बैंक न केवल वित्तीय सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करते हैं, बल्कि वे आर्थिक विकास के विभिन्न क्षेत्रों में भी योगदान करते हैं। प्रत्येक बैंक की अपनी विशिष्ट पहचान होती है, जिसे उनकी टैगलाइन और मुख्यालय के माध्यम से समझा जा सकता है। इस लेख में, हम भारतीय बैंकों, उनके मुख्यालय और टैगलाइन की सूची प्रस्तुत करेंगे, जिससे पाठकों को भारतीय बैंकिंग प्रणाली की व्यापक समझ प्राप्त हो सकेगी।
बैंकिंग किसे कहते हैं?
बैंक एक वित्तीय संस्था है जो लोगों और व्यावसायिक घरानों को निवेश करने और पैसे उधार लेने के विकल्प प्रदान करती है। अर्थव्यवस्था के माध्यम से पैसे की आवाजाही में बैंक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बैंक आम तौर पर जमा, ऋण और निवेश विकल्पों जैसी पेशकश करने वाले सेवा प्रदाता होते हैं।
बैंकिंग का इतिहास
बैंकिंग का इतिहास एक पुरानी और समृद्ध यात्रा है, जो समय के साथ विकसित होती गई है। यह यात्रा प्राचीन सभ्यताओं से लेकर आधुनिक वित्तीय संस्थानों तक फैली हुई है। यहाँ बैंकिंग के इतिहास का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया गया है:
प्राचीन काल
- मेसोपोटामिया और मिस्र: बैंकिंग की प्राचीनतम गतिविधियाँ मेसोपोटामिया (आज का इराक) और मिस्र में पाई जाती हैं। यहाँ लोग अनाज और अन्य वस्तुओं को जमा करने और उधार देने का काम करते थे।
- ग्रीस और रोम: प्राचीन ग्रीस और रोम में भी बैंकिंग का प्रारंभ हुआ, जहाँ लोग अपने धन को सुरक्षित रखने और उधार लेने के लिए बैंकर्स (बैंकर) पर निर्भर थे। रोमनों ने चेक और डिपॉजिट रसीदों की शुरुआत की।
मध्यकालीन काल
- मध्यकालीन यूरोप: बैंकिंग का व्यवस्थित विकास मध्यकालीन यूरोप में हुआ। 12वीं और 13वीं शताब्दी में इटली के व्यापारिक शहरों, विशेषकर फ्लोरेंस, वेनिस और जेनोआ, में बैंकिंग का उभार हुआ। मेडिसी बैंक इस काल के प्रसिद्ध बैंकों में से एक था।
- टेम्पलर नाइट्स: इस अवधि में टेम्पलर नाइट्स ने भी बैंकिंग सेवाएँ प्रदान कीं, विशेषकर तीर्थयात्रियों के लिए सुरक्षित धन हस्तांतरण की सुविधा।
आधुनिक काल
- 17वीं शताब्दी: आधुनिक बैंकिंग प्रणाली का आरंभ 17वीं शताब्दी में इंग्लैंड में हुआ। 1694 में बैंक ऑफ इंग्लैंड की स्थापना हुई, जो आधुनिक केंद्रीय बैंकिंग की नींव बना।
- स्वीडन: 1668 में स्वीडन ने स्टॉकहोम्स बैंक की स्थापना की, जो विश्व का पहला केंद्रीय बैंक माना जाता है।
भारत के संदर्भ में
- प्राचीन भारत: प्राचीन भारत में भी बैंकिंग के प्रारंभिक स्वरूप मौजूद थे। व्यापारी और साहूकार धन का लेन-देन करते थे और उधार देते थे।
- ब्रिटिश काल: 18वीं और 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में बैंकिंग प्रणाली की स्थापना की। 1806 में स्थापित बैंक ऑफ कलकत्ता (बाद में बैंक ऑफ बंगाल) भारत का पहला बैंक था।
- स्वतंत्रता के बाद: 1947 में स्वतंत्रता के बाद, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अंतर्गत बैंकिंग प्रणाली का विकास हुआ। 1955 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की स्थापना हुई।
- राष्ट्रीयकरण: 1969 और 1980 में भारतीय बैंकों का राष्ट्रीयकरण हुआ, जिससे बैंकिंग सेवाएँ ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों तक पहुँचीं।
समकालीन भारत में
- उदारीकरण और निजीकरण: 1991 में आर्थिक उदारीकरण के बाद, भारतीय बैंकिंग प्रणाली में निजी और विदेशी बैंकों का प्रवेश हुआ। यह बैंकिंग प्रणाली को अधिक प्रतिस्पर्धी और ग्राहक-केंद्रित बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम था।
- डिजिटल बैंकिंग: 21वीं शताब्दी में डिजिटल बैंकिंग का उदय हुआ। इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, और डिजिटल भुगतान प्रणालियों ने बैंकिंग को अधिक सुलभ और सुविधाजनक बना दिया है।
बैंकिंग के कार्य
बैंक बहुउद्देशीय संस्थाएँ हैं जिनके पास देने के लिए बहुत कुछ है, लेकिन मुख्य पेशकश चार स्तंभों पर आधारित है।
- धन भंडारण – घर पर जोखिम उठाने के बजाय बैंक में धन संग्रहीत करने के लिए सुरक्षा प्रदान करता है।
- ऋण सुविधा
- कॉर्पोरेट वित्त प्रबंधन – विलय और अधिग्रहण जैसे जटिल मुद्दों में व्यवसायों की मदद करता है।
- अर्थव्यवस्था को विनियमित करना – धन के प्रवाह को नियंत्रित करके अर्थव्यवस्था का प्रबंधन करता है।
भारतीय बैंकों, उनके मुख्यालयों और टैगलाइनों की सूची
नीचे बैंकों की सूची और संबंधित बैंकों के मुख्यालय और टैगलाइन दी गई है।