24 जैन तीर्थंकरों की सूची जैन धर्म के प्रमुख तत्वों में से एक है। जैन धर्म के अनुयायी मानते हैं कि जिन्होंने मोक्ष प्राप्त किया, उन्हें तीर्थंकर कहा जाता है। जैन तीर्थंकरों की संख्या 24 होती है, जिन्हें जैन सिद्धांत के अनुसार विभिन्न युगों में प्रकट हुए थे। ये तीर्थंकर अपने जीवन, उपदेश, और शिक्षाओं के माध्यम से मानवता के मार्ग पर चलने की अद्भुत उपलब्धियों को प्रेरित करते हैं। इस लेख में, हम जैन तीर्थंकरों की सूची के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे, जिनका योगदान जैन धर्म और उनके अनुयायियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
जैन धर्म: एक संक्षिप्त परिचय
‘जैन’ शब्द जिन या जैन से बना है जिसका अर्थ ‘विजेता’ होता है। जैन धर्म प्रमुखता से तब उभरा जब छठी शताब्दी ईसा पूर्व में भगवान महावीर ने जैन धर्म का प्रचार किया। इस धर्म में 24 महान शिक्षक हुए, जिनमें से अंतिम भगवान महावीर थे। इन 24 शिक्षकों को तीर्थंकर कहा जाता था। जैन धर्म का मुख्य उद्देश्य मुक्ति की प्राप्ति है, जिसके लिये किसी अनुष्ठान की आवश्यकता नहीं होती है। जैन धर्म तीन सिद्धांतोंः सम्यकदर्शन, सम्यकज्ञान, सम्यकचरित्र के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है जिसे त्रिरत्न कहा जाता है।
जैन धर्म के 5 महाव्रत
जैन धर्म में पाँच महाव्रत होते हैं, जिन्हें जैन साधुओं और साध्वियों को पालन करना होता है। ये महाव्रत उनके आध्यात्मिक और आध्यात्मिक उत्थान के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
- अहिंसा: जीव को चोट न पहुँचाना
- सत्य: झूठ न बोलना
- अस्तेय: चोरी न करना
- अपरिग्रह: संपत्ति का संचय न करना और
- ब्रह्मचर्य
जैन धर्म के संप्रदाय
जैन व्यवस्था को दो प्रमुख संप्रदायों में विभाजित किया गया है। यह विभाजन मुख्य रूप से मगध में अकाल के कारण हुआ जिसने भद्रबाहु के नेतृत्व वाले एक समूह को दक्षिण भारत में स्थानांतरित होने के लिये मजबूर किया। 12 वर्षों के अकाल के दौरान दक्षिण भारत में समूह सख्त प्रथाओं पर कायम रहा, जिन्हें दिगंबर कहा गया, जबकि मगध में समूह ने अधिक ढीला रवैया अपनाया और सफेद कपड़े पहनना शुरू कर दिया, जिन्हें श्वेतांबर के नाम से जाना जाता है।
जैन साहित्य
भगवान महावीर के उपदेशों को उनके अनुयायियों द्वारा कई ग्रंथों में व्यवस्थित रूप से संकलित किया गया। इन ग्रंथों को सामूहिक रूप से जैन धर्म के पवित्र ग्रंथ आगम के रूप में जाना जाता है। आगम साहित्य भी बाद में दो समूहों में विभाजित किया गया:
- अंग-अगम: इन ग्रंथों में भगवान महावीर के प्रत्यक्ष उपदेश हैं। इनका संकलन भगवान महावीर के तत्काल शिष्यों (गणधरों) ने किया था।
- अंग-बह्य-आगम: ये ग्रंथ अंग-अगम के विस्तृत रूप हैं। इन्हें श्रुतकेवलिन द्वारा संकलित किया गया था।
तीर्थंकर कौन होते हैं?
जैन धर्म में उनके रक्षक और आध्यात्मिक गुरुओं को तीर्थंकर माना जाता है। जैन धर्मग्रंथों के अनुसार, तीर्थंकर ऐसे व्यक्तित्व को कहते हैं, जिसने संसार, मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र पर स्वयं द्वारा विजय प्राप्त की है और दूसरों के अनुसरण के लिए एक मार्ग बनाया है।
दूसरे शब्दों में तीर्थंकर शब्द का अर्थ तीर्थ का संस्थापक होता है, जिसने अपने लिए संसार, मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र पर विजय प्राप्त कर ली है और दूसरों के लिए अनुसरण करने का मार्ग खोल दिया है। जो अनंत जन्म और मृत्यु के समुद्र, संसार के माध्यम से एक दुर्गम मार्ग है।
जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों की सूची
जैन धर्म में, तीर्थंकरों को जिन के नाम से जाना जाता है, जो सभी प्रवृत्तियों पर उनकी महारत को दर्शाता है। परंपरा कुल 24 तीर्थंकरों को मान्यता देती है। इन तीर्थंकरों की पूरी सूची नीचे दी गई है।
जैन धर्म के तीर्थंकर | ||||
क्र. सं. | नाम | प्रतीक | जन्म स्थान | निर्वाण स्थान |
1 | ऋषभनाथ (आदिनाथ) | सांड | अयोध्या |
अष्टापद पर्वत
|
2 | अजीतनाथ | हाथी | अयोध्या |
समेट शिखर
|
3 | संभवनाथ | घोड़ा | श्रावस्ती |
समेट शिखर
|
4 | अभिनंदननाथ | बंदर | समेट शिखर |
समेट शिखर
|
5 | सुमतिनाथ | सारस | अयोध्या |
समेट शिखर
|
6 | पद्मप्रभा | पद्म | समेट शिखर |
समेट शिखर
|
7 | सुपार्श्वनाथ | स्वास्तिक | समेट शिखर |
समेट शिखर
|
8 | चंद्रप्रभा | अर्द्धचन्द्राकार चंद्रमा | चंद्रपुरी |
समेट शिखर
|
9 | पुष्पदंत | मगरमच्छ | ककन्दी |
समेट शिखर
|
10 | शीतलानाथ | श्रीवत्स | भद्रक पुरी |
समेट शिखर
|
11 | श्रेयान्सनाथ | गैंडा | समेट शिखर |
समेट शिखर
|
12 | वासुपूज्य | भैंस | चम्पापुरी |
चंपा नगरी
|
13 | विमलनाथ | सुअर | कांपिल्य |
समेट शिखर
|
14 | अनंतनाथ | बाज/शाही जस | अयोध्या |
समेट शिखर
|
15 | धर्मनाथ | वज्र | रत्नपुरी |
समेट शिखर
|
16 | शांतिनाथ | मृग या हिरण | हस्तिनापुर |
समेट शिखर
|
17 | कुंथुनाथ | बकरी | हस्तिनापुर |
समेट शिखर
|
18 | अरहनाथ | नंद्यावर्त या मछली | हस्तिनापुर |
समेट शिखर
|
19 | मल्लिनाथ | कलश | मिथिला |
समेट शिखर
|
20 | मुनिसुव्रत | कछुआ | कुसाग्रनगर |
समेट शिखर
|
21 | नमिनाथ | नीला कमल | मिथिला |
समेट शिखर
|
22 | नेमिनाथ | शंख | द्वारका |
रैवतगिरि
|
23 | पार्श्वनाथ | साँप | काशी |
समेट शिखर
|
24 | महावीर | सिंह/शेर | क्षत्रियकुंडी/क्षत्रियकुंड |
पावापुरी
|