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भारत में आर्थिक नियोजन और पंचवर्षीय योजनाओं की सूची

भारत में आर्थिक नियोजन और पंचवर्षीय योजनाओं का इतिहास देश के आर्थिक विकास और सामाजिक उत्थान के लिए महत्वपूर्ण रहा है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और व्यापक विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए योजनाबद्ध विकास का मार्ग अपनाया। इसके तहत, पंचवर्षीय योजनाओं की शुरुआत की गई, जिनका उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में संसाधनों का समुचित वितरण और विकास की रणनीतियों का क्रियान्वयन था। इन योजनाओं ने कृषि, उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढाँचे सहित कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सुधार लाए हैं। इस लेख में हम भारत में आर्थिक नियोजन की पृष्ठभूमि और अब तक की सभी पंचवर्षीय योजनाओं की सूची और उनके मुख्य उद्देश्यों की चर्चा करेंगे।

भारत की आर्थिक योजना

भारत की आर्थिक योजना एक सुविचारित प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य देश की आर्थिक वृद्धि, सामाजिक विकास और समग्र प्रगति सुनिश्चित करना है। स्वतंत्रता के बाद, भारत ने योजनाबद्ध विकास के मॉडल को अपनाया, जिससे देश के संसाधनों का प्रभावी और कुशल उपयोग हो सके। इस प्रक्रिया का आधार पंचवर्षीय योजनाएँ हैं, जो विशेष समयावधि के लिए विकास के लक्ष्यों और प्राथमिकताओं को निर्धारित करती हैं।

भारत में आर्थिक नियोजन के उद्देश्य

भारत में आर्थिक नियोजन के उद्देश्य व्यापक और समग्र विकास को सुनिश्चित करने के लिए निर्धारित किए गए हैं। ये उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक विकास के सभी पहलुओं को कवर करते हैं और राष्ट्र के समग्र उत्थान की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं। भारत में आर्थिक नियोजन के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  • आर्थिक स्थिरता: आर्थिक स्थिरता आर्थिक विकास जितनी ही महत्वपूर्ण है। यह मुद्रास्फीति और अपस्फीति के लगातार और चरम अनुभवों की कमी को दर्शाता है। जब मूल्य स्तर अप्रत्याशित रूप से बढ़ता या घटता है, तो अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक असंतुलन के कई अलग-अलग रूप होते हैं।
  • सामाजिक न्याय: यह नियोजन उद्देश्य अन्य सभी से जुड़ा हुआ है और भारत में नियोजन का प्राथमिक जोर रहा है। यह गरीबी में रहने वाले व्यक्तियों की संख्या को कम करने और उन्हें काम और सामाजिक सेवाओं तक पहुँच प्रदान करने का प्रयास करता है।
  • सामाजिक कल्याण और सेवाएँ: पंचवर्षीय योजना का लक्ष्य श्रम कल्याण, वंचितों के आर्थिक विकास और गरीबों के लिए सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देना रहा है। शिक्षा, स्वास्थ्य, तकनीकी शिक्षा, वैज्ञानिक उन्नति आदि जैसी सामाजिक सेवाओं का विकास भी योजनाओं का लक्ष्य रहा है।
  • आर्थिक विकास: भारत की पंचवर्षीय योजनाओं में आर्थिक विकास की उच्च दरों की उपलब्धि को व्यावहारिक रूप से प्राथमिकता दी गई थी। क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था तीव्र गरीबी से पीड़ित थी, इसलिए गरीबी को मिटाना और हमारे लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाना आर्थिक विकास की अधिक दर हासिल करके प्राप्त किया जा सकता है।
  • क्षेत्रीय विकास: भारत की आर्थिक योजना का लक्ष्य विकास में क्षेत्रीय अंतर को कम करना है। भारत में नियोजन इन असमानताओं की जांच करने और उन्हें दूर करने के तरीके प्रदान करने का प्रयास करता है।

भारत में पंचवर्षीय योजनाओं की सूची

भारत में पंचवर्षीय योजनाएँ देश के आर्थिक और सामाजिक विकास को दिशा देने के लिए बनाई गई व्यापक योजनाएँ हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में संसाधनों का समुचित वितरण और विकास की रणनीतियों का क्रियान्वयन करना है। यहाँ भारत में अब तक की सभी पंचवर्षीय योजनाओं की सूची और उनके मुख्य उद्देश्यों का संक्षिप्त विवरण दिया गया है:

भारत में पंचवर्षीय योजनाएँ
योजना अवधि विषेशताएँ
प्रथम पंचवर्षीय योजना 1951-56
  • प्रथम पंचवर्षीय योजना ने भारत में आर्थिक विकास पर ज़ोर दिया।
  • इसने मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किया, जिसमें बाँधों और सिंचाई में निवेश शामिल था।
दूसरी पंचवर्षीय योजना 1956-61
  • दूसरी पंचवर्षीय योजना ने तीव्र औद्योगीकरण और सार्वजनिक क्षेत्र पर बल दिया।
  • इसने त्वरित संरचनात्मक परिवर्तन पर ज़ोर दिया।
  • इस योजना के तहत सरकार ने घरेलू उद्योगों की रक्षा के लिये आयात पर शुल्क अधिरोपित किया।
तीसरी पंचवर्षीय योजना 1961-66
  • कृषि और गेहूँ के उत्पादन में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया गया।
  • राज्यों को विकास संबंधी अतिरिक्त उत्तरदायित्व सौंपे गए। उदाहरण- राज्यों को माध्यमिक और उच्च शिक्षा का उत्तरदायित्व सौंपा गया।
  • ज़मीनी स्तर अथवा ग्रासरूट लेवल पर लोकतंत्र के लिये पंचायत चुनाव की शुरुआत की गई।
चौथी पंचवर्षीय योजना 1969-74
  • इसे प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल के दौरान पेश किया गया था तथा इसके माध्यम से पिछली विफलताओं में सुधार करने का प्रयास किया गया।
  • गाडगिल फॉर्मूले के आधार पर, स्थिरता के साथ विकास और आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रगति पर बहुत अधिक ज़ोर दिया गया।
  • सरकार ने 14 प्रमुख भारतीय बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया और हरित क्रांति ने कृषि को बढ़ावा दिया।
  • सूखा संभावित क्षेत्र कार्यक्रम (Drought Prone Area Programme) भी शुरू किया गया।
पांचवीं पंचवर्षीय योजना 1974-79
  • इसने रोज़गार बढ़ाने और गरीबी उन्मूलन (गरीबी हटाओ) पर ज़ोर दिया।
  • वर्ष 1975 में, विद्युत आपूर्ति अधिनियम में संशोधन किया गया, जिससे केंद्र सरकार बिजली उत्पादन और पारेषण के क्षेत्र में प्रवेश कर सकी।
  • भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्रणाली की शुरुआत की गई थी।
  • इस योजना के पहले वर्ष में शुरू किया गया न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम (Minimum Needs Programme-MNP), जिसका उद्देश्य बुनियादी न्यूनतम आवश्यकताएँ प्रदान करना था। MNP को डी.पी. धर द्वारा तैयार किया गया था।
छठी पंचवर्षीय योजना 1980-85
  • इसने मूल्य नियंत्रणों को समाप्त करके आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत को रेखांकित किया।
  • जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिये, परिवार नियोजन कार्यक्रम शुरू किया गया।
  • शिवरमन समिति की सिफारिश पर, राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक- नाबार्ड (National Bank for Agriculture and Rural Development- NABARD) की स्थापना की गई।
सातवीं पंचवर्षीय योजना 1985-89
  • यह योजना प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान प्रस्तुत की गई।
  • इसने प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से औद्योगिक उत्पादकता के स्तर में सुधार पर ज़ोर दिया।
  • अन्य उद्देश्यों में आर्थिक उत्पादकता में वृद्धि, खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि और सामाजिक न्याय प्रदान करते हुए रोज़गार सृजन करना शामिल था।
  • छठी पंचवर्षीय योजना के परिणामों ने ने सातवीं पंचवर्षीय योजना की सफलता के लिये एक मज़बूत आधार प्रदान किया।
  • इसने गरीबी-विरोधी कार्यक्रमों, आधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग और भारत को एक स्वतंत्र अर्थव्यवस्था बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
  • इसने वर्ष 2000 तक आत्मनिर्भर विकास के लिये पूर्व अपेक्षित लक्ष्यों को प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित किया।
आठवीं पंचवर्षीय योजना 1992-97
  • आठवीं योजना ने उद्योगों के आधुनिकीकरण को बढ़ावा दिया।
  • 1 जनवरी, 1995 को भारत विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation- WTO) का सदस्य बना।
  • इसके लक्ष्य जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना, गरीबी कम करना, रोज़गार सृजन, बुनियादी ढाँचे के विकास को मज़बूत करना, पर्यटन का प्रबंधन करना, मानव संसाधन विकास पर ध्यान केंद्रित करना आदि थे।
  • इसने विकेंद्रीकरण के माध्यम से पंचायतों और नगर पालिकाओं को शामिल करने पर भी ज़ोर दिया।
नौवीं पंचवर्षीय योजना 1997-2002
  • इसने स्वतंत्रता के बाद से भारत के पचास वर्षों को चिह्नित किया और अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री पद का नेतृत्व किया।
  • इसने गरीबी के पूर्ण उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये सामाजिक क्षेत्रों हेतु समर्थन की पेशकश की और आर्थिक विकास सुनिश्चित करने के मामले में सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों ने संयुक्त रूप से प्रयास किया।
  • इसके अलावा, अन्य उद्देश्यों में सामाजिक रूप से वंचित वर्गों को सशक्त बनाना, आत्मनिर्भरता विकसित करना तथा देश में सभी बच्चों के लिये प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराना शामिल था।
  • इस योजना की रणनीतियों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिये निर्यात की उच्च दर में वृद्धि करना तीव्र विकास के लिये दुर्लभ संसाधनों का कुशल उपयोग आदि शामिल थे।
दसवीं पंचवर्षीय योजना 2002-07
  • इस योजना की विशेषताओं में समावेशी तथा समान विकास को बढ़ावा देना शामिल था।
  • इसने प्रति वर्ष 8% GDP विकास दर का लक्ष्य रखा।
  • इसका उद्देश्य गरीबी को 50 प्रतिशत तक कम करना और 80 मिलियन लोगों के लिये रोज़गार का सृजन करना था। इसके अलावा, इसका उद्देश्य क्षेत्रीय असमानताओं को कम करना था।
  • इसने वर्ष 2007 तक शिक्षा और मज़दूरी दरों के क्षेत्र में लैंगिक अंतराल को कम करने पर भी ज़ोर दिया।
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना 2007-2012
  • ग्यारहवीं योजना उच्च शिक्षा में नामांकन बढ़ाने और दूरस्थ शिक्षा के साथ-साथ आईटी संस्थानों पर ध्यान केंद्रित करने के अपने उद्देश्य के साथ बहुत महत्त्वपूर्ण थी।
  • इसकी मुख्य विषयवस्तु तीव्र और अधिक समावेशी विकास थी।
  • इसका उद्देश्य पर्यावरणीय स्थिरता और लैंगिक असमानता में कमी लाना था।
  • इसमें वर्ष 2009 तक सभी को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने पर भी बल दिया गया।
बारहवीं पंचवर्षीय योजना 2012-17
  • इस योजना का उद्देश्य बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को मज़बूत करना और सभी गाँवों को बिजली आपूर्ति प्रदान करना था।
  • इसका उद्देश्य स्कूल में प्रवेश के संदर्भ में लैंगिक और सामाजिक अंतराल को दूर करना तथा उच्च शिक्षा तक पहुँच में सुधार करना है।
  • इसके अलावा, हर साल 1 मिलियन हेक्टेयर तक हरित क्षेत्र को बढ़ाना और गैर-कृषि क्षेत्र में नए अवसर सृजित करना भी इसके उद्देश्यों में शामिल था।

पंचवर्षीय योजनाओं की लक्षित और वास्तविक विकास दरों की सूची

पंचवर्षीय योजनाओं में लक्षित और वास्तविक विकास दरें (GDP वृद्धि दर) उन योजनाओं की सफलता और उनके लक्ष्यों की प्राप्ति का महत्वपूर्ण सूचक हैं। यहाँ भारत की प्रत्येक पंचवर्षीय योजना के लक्षित और वास्तविक विकास दरों की सूची दी गई है:

पंचवर्षीय योजनाओं की लक्षित और वास्तविक विकास दरों की सूची
योजना लक्षित विकास वास्तविक विकास
प्रथम पंचवर्षीय योजना 2.10% 3.60%
दूसरी पंचवर्षीय योजना 4.50% 4.30%
तीसरी पंचवर्षीय योजना 5.60% 2.80%
चौथी पंचवर्षीय योजना 5.70% 3.30%
पांचवीं पंचवर्षीय योजना 4.40% 4.80%
छठी पंचवर्षीय योजना 5.20% 5.70%
सातवीं पंचवर्षीय योजना 5% 6%
आठवीं पंचवर्षीय योजना 5.60% 6.80%
नौवीं पंचवर्षीय योजना 6.50% 5.40%
दसवीं पंचवर्षीय योजना 8% 7.60%
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना 9% 8%
बारहवीं पंचवर्षीय योजना 9% 8%

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FAQs

भारत में आर्थिक नियोजन के मुख्य उद्देश्य क्या हैं?

आर्थिक विकास, गरीबी में कमी, अर्थव्यवस्था का आधुनिकीकरण, रोजगार में वृद्धि, आय असमानता में कमी भारत में आर्थिक नियोजन के मुख्य उद्देश्य थे।

प्रथम पंचवर्षीय योजना कब शुरू की गई थी?

पहली पंचवर्षीय योजना जो हैरोड-डोमर मॉडल के आधार पर बनाई गई थी, 1951 में शुरू की गई थी। योजना का मुख्य उद्देश्य देश में कृषि उत्पादन को बढ़ाना था।

भारत में कुल कितनी पंचवर्षीय योजनाएँ हैं?

भारत में 12 पंचवर्षीय योजनाएं हैं। पहली योजना 1951 से 1956 तक और बारहवीं योजना 2012 से 2017 तक प्रभावी रही।