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मध्यकालीन भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण युद्धों की सूची

मध्यकालीन भारतीय इतिहास कई महत्वपूर्ण युद्धों और संघर्षों का गवाह रहा है, जिन्होंने देश के राजनीतिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक परिदृश्य को गहराई से प्रभावित किया। इन युद्धों ने नए साम्राज्यों और राजवंशों की स्थापना की, जबकि कुछ ने पुराने साम्राज्यों के पतन को चिह्नित किया। इस लेख में, हम मध्यकालीन भारतीय इतिहास के कुछ प्रमुख युद्धों की सूची प्रस्तुत करेंगे। इन युद्धों ने भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण मोड़ और राजनीतिक बदलाव लाए, जो देश के ऐतिहासिक विकास को दर्शाते हैं। इस सूची के माध्यम से, हम मध्यकालीन भारतीय इतिहास के उन प्रमुख क्षणों को समझेंगे, जिन्होंने भारत के सांस्कृतिक और राजनीतिक परिदृश्य को रूपांतरित किया।

भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण युद्ध

मध्यकालीन भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण युद्धों ने भारत के सामाजिक, राजनीतिक, और सांस्कृतिक परिदृश्य को गहराई से प्रभावित किया। इन युद्धों ने नए साम्राज्यों और राजवंशों की स्थापना की, जबकि अन्य ने पुराने साम्राज्यों के पतन का कारण बना। यहाँ मध्यकालीन भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण युद्धों की सूची दी गई है, जो भारतीय इतिहास के इस काल के प्रमुख संघर्षों को उजागर करती है:

  1. तराइन की लड़ाइयाँ: तराइन में दो प्रमुख युद्ध लड़े गए:
      • पहला युद्ध (1191): यह पृथ्वीराज चौहान और मुहम्मद गोरी के बीच हुआ। पृथ्वीराज चौहान ने इस युद्ध में जीत हासिल की।
      • दूसरा युद्ध (1192): यह भी पृथ्वीराज चौहान और मुहम्मद गोरी के बीच था। इस युद्ध में मुहम्मद गोरी की जीत ने भारत में मुस्लिम शासन के विस्तार की शुरुआत की।
  2. रक्षाबंधन का युद्ध: यह 1576 में महाराणा प्रताप और मुगल सेना के बीच हल्दीघाटी के पास लड़ा गया। यह युद्ध अकबर के मुगल साम्राज्य और महाराणा प्रताप के राजपूतों के बीच एक प्रमुख संघर्ष था।
  3. खानवा का युद्ध: यह 1527 में बाबर और राणा सांगा के बीच हुआ। बाबर की जीत ने मुगल साम्राज्य को और मजबूत किया और राजपूतों के प्रभुत्व को कम किया।
  4. प्लासी का युद्ध: यह 1757 में बंगाल के नवाब सिराज उद-दौला और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच लड़ा गया। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की जीत ने भारत में ब्रिटिश शासन की नींव रखी।
  5. बक्सर का युद्ध: यह 1764 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और संयुक्त भारतीय सेनाओं के बीच हुआ। इस युद्ध ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के नियंत्रण को मजबूत किया।

मध्यकालीन भारत के इतिहास में लड़े गए महत्वपूर्ण युद्धों की सूची

मध्यकालीन भारत के इतिहास में लड़े गए युद्धों ने भारतीय समाज, राजनीति, और संस्कृति पर गहरा प्रभाव डाला है। मध्यकालीन भारत के इतिहास में लड़े गए कुछ महत्वपूर्ण युद्धों की सूची नीचे दी गई है:

मध्यकालीन भारत के इतिहास में लड़े गए युद्ध
युद्ध वर्ष परिणाम
मेवाड़ का युद्ध 1615
  • मेवाड़ का युद्ध मुग़ल बादशाह जहाँगीर और राजपूत राजा अमर सिंह के बीच हुआ था।
  • 1613 ई. में जहाँगीर स्वयं मेवाड़ गया।
  • मेवाड़ के राजकुमार खुर्रम से संधि करनी पड़ी।
  • अमर सिंह ने मुगल आधिपत्य स्वीकार कर लिया और अपने पुत्र करण सिंह को मुगल दरबार में भेज दिया।
बीजापुर का युद्ध 1617-21
  • यह युद्ध मुगल राजकुमार खुर्रम और मलिक अंबर के बीच लड़ा गया था।
  • यह युद्ध एक संधि के साथ समाप्त हुआ
कंधार का युद्ध 1648-53
  • यह युद्ध मुग़ल बादशाह शाहजहाँ और फारस के शाह के बीच हुआ था।
इलाहबाद की लड़ाई 1657
  • यह युद्ध मुगल शहजादे दाराशिकोह और शाह शुजा के बीच लड़ा गया था।
  •  इसमें दाराशिकोह ने शाह शुजा को हरा दिया।
धरमत की लड़ाई 1658
  • यह युद्ध मुग़ल उत्तराधिकार के लिए लड़ा गया था।
  • यह दाराशिकोह और औरंगजेब तथा मुराद के बीच लड़ा गया था।
  • इसमें औरंगजेब और मुराद की संयुक्त सेना ने दाराशिकोह की सेना को हरा दिया।
सामूगढ़ की लड़ाई 1658
  • यह युद्ध मुग़ल उत्तराधिकार के लिए लड़ा गया था।
  • यह दाराशिकोह और औरंगजेब तथा मुराद के बीच लड़ा गया था।
  • इसमें औरंगजेब और मुराद की संयुक्त सेना ने दाराशिकोह की सेना को हरा दिया।
देवराई का युद्ध 1659
  • यह युद्ध मुग़ल उत्तराधिकार के लिए लड़ा गया था।
  • इस युद्ध में औरंगजेब ने दाराशिकोह को हरा दिया।
खजुहा का युद्ध 1659
  • यह युद्ध मुग़ल उत्तराधिकार के लिए लड़ा गया था।
  • इस युद्ध में औरंगजेब ने शाह शुजा को हरा दिया।
शिवाजी, अफजलखान का युद्ध 1660
  • यह युद्ध मराठों और मुगलों के बीच हुआ था।
  • इसमें मराठा शासक शिवाजी ने मुगल सेनापति अफजल खान को हराया था।
पुरन्दर का युद्ध 1665
  • यह युद्ध मराठों और मुगलों के बीच हुआ था।
  • यह युद्ध मराठा शासक शिवाजी और मुगल सेनापति मिर्जा राजा जय सिंह के बीच हुआ था।
  • पुरंदर की संधि के साथ युद्ध समाप्त हुआ।
  • इसके अनुसार शिवाजी को अपने 35 में से 23 किले मुगलों को देने पड़े।
तिलपत का युद्ध 1669
  • यह युद्ध जाट सरदार गोकुला और मुगलों के बीच हुआ था।
  • जिसमें मुगल विजयी हुए
मेवाड़ का युद्ध 1679
  • यह युद्ध मुगल बादशाह औरंगजेब और राजपूत राजा राज सिंह के बीच हुआ था।
  • इसमें मुगलों ने राजपूतों को हराया।
मारवाड़ का युद्ध 1680
  • यह युद्ध मुगल बादशाह औरंगजेब और राठौड़ राजा जसवन्त सिंह के बीच हुआ था।
  • इसमें मुगलों ने राठौड़ों को हराया।
बीजापुर का युद्ध 1686
  • यह युद्ध मुगल बादशाह औरंगजेब और बीजापुर के शासक सिकंदर आदिलशाह के बीच हुआ था।
  • इसमें मुगलों ने बीजापुर की सेना को पराजित कर बीजापुर को मुगल साम्राज्य में मिला लिया।
गोलकुंडा की लड़ाई 1687
  • यह युद्ध मुगल बादशाह औरंगजेब और गोलकुंडा के शासक अबुल हसन के बीच हुआ था।
  • इसमें मुगलों ने गोलकुंडा की सेना को हरा दिया और गोलकुंडा को मुगल साम्राज्य में मिला लिया।
आनंदपुर का युद्ध 1700
  • यह युद्ध सिख गुरु गोबिंद सिंह और मुगलों के बीच हुआ था।
  • इसमें मुगलों की हार हुई।
चमकौर का युद्ध 1704
  • यह युद्ध सिख गुरु गोबिंद सिंह और मुगलों के बीच हुआ था।
  • इसमें सिक्ख गुरु गोबिंद सिंह की हार हुई।
खेड़ा का युद्ध 1707
  • यह युद्ध मराठा सरदार शाहू और ताराबाई के बीच हुआ था।
  • इसमें साहू विजयी रहे।
जजाऊ की लड़ाई 1707
  • मुगल बादशाह औरंगजेब की मृत्यु के बाद यह युद्ध उसके पुत्रों मुअज्जम और आजम के बीच हुआ।
  • इसमें मुअज्जम ने आजम को हरा दिया
करनाल की लड़ाई 1739
  • यह युद्ध मुगल बादशाह मुहम्मद शाह और नादिर शाह के बीच हुआ था।
  • इसमें नादिर शाह ने मुगलों को हरा दिया।
पानीपत की तीसरी लड़ाई 1761
  • यह युद्ध अहमद शाह अब्दाली और मराठों के बीच हुआ था।
  • इसमें मराठों की बुरी हार हुई।

 

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मध्यकालीन भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण युद्धों की सूची_3.1

FAQs

तराइन के द्वितीय युद्ध (1192 ई०) में किसने किसको पराजित किया?

तराइन का द्वितीय युद्ध वर्ष 1192 ई. में पृथ्वीराज चौहान और शहाबुद्दीन मुहम्मद ग़ोरी के मध्य लड़ा गया। तराइन के इस युद्ध को 'भारतीय इतिहास' का एक विशेष मोड़ माना जाता है। इस युद्ध में मुस्लिमों की विजय और राजपूतों की पराजय हुई।

प्लासी का युद्ध किस वर्ष हुआ था?

प्लासी का पहला युद्ध 23 जून 1757 को मुर्शिदाबाद के दक्षिण में 22 मील दूर नदिया जिले में भागीरथी नदी के किनारे 'प्लासी' नामक स्थान में हुआ था। इस युद्ध में एक ओर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना थी तो दूसरी ओर थी बंगाल के नवाब की सेना।