भारत में कृषि क्रांतियाँ न केवल कृषि उत्पादन को बढ़ाने में महत्वपूर्ण रही हैं, बल्कि उन्होंने देश की खाद्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता में भी अहम योगदान दिया है। 1960 से लेकर 2024 तक, विभिन्न कृषि क्रांतियों ने भारतीय कृषि को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया है। इन क्रांतियों ने अलग-अलग फसलों, तकनीकों और कृषि पद्धतियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए उत्पादन में क्रांतिकारी परिवर्तन लाए हैं। इस लेख में, हम 1960 से 2024 तक की सभी प्रमुख कृषि क्रांतियों की सूची प्रस्तुत करेंगे, जिससे यह समझने में मदद मिलेगी कि कैसे इन क्रांतियों ने भारतीय कृषि के परिदृश्य को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
भारत में कृषि क्रांतियाँ
कृषि क्रांति तब होती है जब खेती थोड़े समय में बहुत बदल जाती है। नए औजार, विचार या फसल उगाने के तरीके खेती को बेहतर बनाते हैं और ज़्यादा लोगों को पर्याप्त भोजन पाने में मदद करते हैं। यह एक बड़े बदलाव की तरह है जो खेती को आसान बनाता है और देश को ज़्यादा भोजन उगाने में मदद करता है।
भारत के इतिहास में, खेती के तरीके में बड़े बदलाव हुए हैं। ये बदलाव निर्णायक मोड़ की तरह हैं और इन्हें कृषि क्रांति कहा जाता है। ये दिखाते हैं कि भारतीय किसान कैसे अनुकूलन कर सकते हैं और नए विचारों के साथ आ सकते हैं। बदलाव के ये दौर खेती के पुराने और नए तरीकों को मिलाते हैं, जिससे यह पता चलता है कि हम अपने देश को कैसे भोजन देते हैं।
क्रांति क्या होती है?
क्रांति अक्सर प्रगति के परिणामस्वरूप नई तकनीकों के साथ तरीकों और विचारों में अचानक परिवर्तन है। यह उपज बढ़ाने के लिए नए तरीकों और तकनीकों का उपयोग करने की प्रक्रिया है। भारत में क्रांतियों ने कृषि, पेट्रोलियम आदि जैसे विभिन्न सामाजिक-आर्थिक क्षेत्रों में एक बिल्कुल नए युग की शुरुआत की। अधिकांश समय ये क्रांतियाँ केवल एक विशेष क्षेत्र से संबंधित थीं और इन क्रांतियों के माध्यम से उस विशेष क्षेत्र में बहुत सारे नए अवसरों और उद्घाटनों के निर्माण के माध्यम से तेजी से वृद्धि हुई।
भारत में कृषि क्रांतियों की सूची
नीचे दी गई तालिका में प्रमुख कृषि क्रांतियों को समझाया गया है। भारत में सभी क्रांतियों के जनकों की जानकारी इस तालिका में दी गई है।
भारत में कृषि क्रांतियों की सूची | |||
क्रांति का नाम | क्रांति का क्षेत्र | क्रांति के जनक | क्रांति की अवधि |
भारत में हरित क्रांति | कृषि | एम.एस. स्वामीनाथन | 1966 – 1967 |
भारत में श्वेत क्रांति या ऑपरेशन फ्लड | दूध/ डेरी उत्पादों | डॉ. वर्गीज कुरियन | 1970 – 1996 |
भारत में नीली क्रांति | मछली और पानी | डॉ. अरुण कृष्णन, और डॉ. हरिलाल चौधरी | 1973- 2002 |
भारत में स्वर्णिम क्रांति | फल, शहद, बागवानी | निरपख टुटाज | 1991- 2003 |
भारत में रजत क्रांति | अंडे | इंदिरा गांधी | 2000 का दशक |
भारत में पीली क्रांति | तेल बीज | सैम पित्रोदा | 1986 – 1990 |
भारत में गुलाबी क्रांति | फार्मास्यूटिकल्स, झींगा, प्याज | दुर्गेश पटेल | 1970 का दशक |
भारत में भूरी क्रांति | चमड़ा, कोको | हीरालाल चौधरी | – |
भारत में लाल क्रांति | मांस, टमाटर | विशाल तिवारी | 1980 का दशक |
भारत में गोल्डन फाइबर क्रांति | जूट | – | 1990 का दशक |
भारत में सदाबहार क्रांति | कुल मिलाकर उत्पादन कृषि का | एमएस स्वामीनाथन | 2017 – 2022 |
भारत में काली क्रांति | पेट्रोलियम | – | – |
भारत में सिल्वर फाइबर क्रांति | कपास | – | 2000 का दशक |
भारत में गोल क्रांति | आलू | – | 1965- 2005 |
भारत में प्रोटीन क्रांति | कृषि (उच्च उत्पादन) | – | 2014 – 2020 |
भारत में ग्रे क्रांति | उर्वरक | – | 1960- 1970 का दशक |