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क्या है एंटी पेपर लीक कानून? जानिए पूरी जानकारी

एंटी पेपर लीक कानून एक महत्वपूर्ण विधिक प्रावधान है जिसका उद्देश्य परीक्षा और भर्ती प्रक्रियाओं की शुचिता और पारदर्शिता को बनाए रखना है। यह कानून परीक्षा प्रश्न पत्रों के लीक होने की घटनाओं को रोकने और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया है। इस लेख में हम एंटी पेपर लीक कानून के प्रमुख प्रावधानों, इसके महत्व और इसके कार्यान्वयन के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे।

एंटी पेपर लीक कानून क्या है?

देश भर में आयोजित सार्वजनिक परीक्षाओं और आम प्रवेश परीक्षाओं में अनुचित व्यवहार को रोकने के लिए केंद्र सरकार द्वारा एंटी पेपर लीक कानून को अधिसूचित किया गया था। यह विधायी कदम NEET और UGC NET परीक्षाओं में कथित कदाचार को लेकर महत्वपूर्ण विवादों के बाद उठाया गया है।

यह अधिनियम बजट सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों में पारित किया गया था, जो 10 फरवरी, 2024 को समाप्त हुआ और 13 फरवरी, 2024 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त हुई। अधिनियम का प्राथमिक उद्देश्य परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता, निष्पक्षता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए कड़े उपाय पेश करके सरकारी भर्ती परीक्षाओं में धोखाधड़ी से निपटना है।

एंटी पेपर लीक कानून एक विधिक प्रावधान है जिसे परीक्षा और भर्ती प्रक्रियाओं में प्रश्न पत्रों के लीक होने की घटनाओं को रोकने के लिए बनाया गया है। यह कानून परीक्षा प्रणाली की शुचिता और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए कठोर नियम और दंड प्रावधान करता है।

एंटी पेपर लीक की ज़रूरत क्यों?

एंटी पेपर लीक कानून की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से महत्वपूर्ण है:

  • प्रश्न पत्र लीक होने की घटनाएं परीक्षा की निष्पक्षता को प्रभावित करती हैं। यह योग्य उम्मीदवारों के साथ अन्याय करता है और मेरिट आधारित चयन प्रक्रिया को कमजोर करता है।
  • प्रश्न पत्र लीक की घटनाओं से छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ता है। जिन छात्रों ने कड़ी मेहनत की होती है, उनके प्रयास व्यर्थ हो जाते हैं और उनकी भविष्य की योजनाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • बार-बार पेपर लीक होने की घटनाओं से शैक्षिक संस्थानों और परीक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लग जाता है। यह लोगों के बीच शिक्षा प्रणाली के प्रति अविश्वास पैदा करता है।
  • पेपर लीक की घटनाएं अक्सर संगठित अपराध और भ्रष्टाचार से जुड़ी होती हैं। एंटी पेपर लीक कानून ऐसे अपराधों को रोकने और दोषियों को सजा देने में सहायक होता है।
  • परीक्षा पेपर लीक होने पर पुन: परीक्षा आयोजित करनी पड़ती है, जिससे अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ता है। यह न केवल संस्थानों बल्कि छात्रों और उनके परिवारों पर भी आर्थिक प्रभाव डालता है।
  • पेपर लीक होने पर छात्रों को मानसिक तनाव और दबाव का सामना करना पड़ता है। इससे उनकी मानसिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और उनकी शैक्षिक यात्रा कठिन हो जाती है।

पेपर लीक विरोधी कानून के तहत अपराधों की सूची

पेपर लीक विरोधी कानून के तहत विभिन्न प्रकार के अपराधों की सूची निम्नलिखित है:

  • परीक्षा शुरू होने से पहले या परीक्षा के दौरान प्रश्न पत्रों को अवैध रूप से सार्वजनिक करना।
  • प्रश्न पत्रों को सोशल मीडिया, मैसेजिंग ऐप्स या अन्य डिजिटल माध्यमों के जरिए फैलाना।
  • प्रश्न पत्रों को अनधिकृत व्यक्तियों, जैसे छात्रों, अभिभावकों या एजेंटों तक पहुंचाना।
  • प्रश्न पत्रों की सामग्री को परीक्षा से पहले लीक करना या साझा करना।
  • परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था से प्रश्न पत्रों की चोरी करना।
  • परीक्षा केंद्रों, प्रिंटिंग प्रेस या वितरण केंद्रों से प्रश्न पत्रों को अवैध रूप से निकालना।
  • पेपर लीक की साजिश में शामिल होना और इसमें सक्रिय रूप से सहयोग करना।
  • प्रश्न पत्र लीक के लिए धनराशि लेना या अन्य लाभ प्राप्त करना।
  • प्रश्न पत्रों की फोटोकॉपी, स्कैनिंग या डिजिटल फॉर्म में प्रतिलिपि बनाना और उन्हें फैलाना।
  • प्रश्न पत्रों की अवैध प्रतिलिपि बनाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का उपयोग करना।
  • परीक्षा प्रक्रिया के दौरान प्रश्न पत्रों की गोपनीयता भंग करना।
  • परीक्षा केंद्र के कर्मचारियों द्वारा प्रश्न पत्रों को लीक करना या अनधिकृत रूप से साझा करना।
  • मोबाइल फोन, टैबलेट, कंप्यूटर आदि का उपयोग कर प्रश्न पत्रों को लीक करना।
  • सोशल मीडिया और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग कर प्रश्न पत्रों को सार्वजनिक करना।
  • परीक्षा के दौरान या उससे पहले पेपर लीक होने की अफवाह फैलाना जिससे परीक्षा प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हो।
  • छात्रों और अभिभावकों के बीच भ्रम पैदा करना।
  • परीक्षा आयोजित करने वाले अधिकारियों की मिलीभगत से प्रश्न पत्रों को लीक करना।
  • प्रश्न पत्रों के वितरण और सुरक्षा में शामिल कर्मचारियों का दुरुपयोग।
  • एंटी पेपर लीक कानून के तहत निर्दिष्ट किसी भी प्रावधान का उल्लंघन करना।
  • कानून द्वारा निर्धारित सुरक्षा उपायों का पालन न करना।

पेपर लीक विरोधी कानून के तहत किए गए प्रावधान

इस अधिनियम के तहत अनुचित साधनों और अपराधों में शामिल होने वाले किसी भी व्यक्ति को कम से कम तीन साल की कैद, जिसे पाँच साल तक बढ़ाया जा सकता है, और ₹10 लाख तक का जुर्माना भरना होगा।

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FAQs

एंटी पेपर लीक कानून कब लागू किया गया?

हाल ही में हुए NEET पेपर लीक विवाद के मद्देनजर एंटी पेपर लीक कानून या सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 फरवरी में अधिनियमित किया गया और 21 जून 2024 को लागू किया गया।

भारत में एंटी पेपर लीक कानून के प्रावधान क्या हैं?

एंटी पेपर लीक कानून में शामिल लोगों, संस्थाओं या गिरोहों पर 1 करोड़ रुपये तक का भारी जुर्माना लगाया गया है। इसमें न्यूनतम 3 से 5 साल और अधिकतम 10 साल की कैद भी शामिल है। अगर अपराधी जुर्माना नहीं भर पाता है, तो कारावास की अवधि उसी हिसाब से बढ़ जाएगी। सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 के अनुसार, धोखाधड़ी अब एक संज्ञेय, गैर-जमानती और गैर-समझौता योग्य अपराध है।