ऊर्जा, शक्ति और कार्य – ये तीनों हमारे जीवन के महत्वपूर्ण अंग हैं जो हमें न दिन की कार्यशीलता में मदद करते हैं बल्कि यह भी बताते हैं कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हम कैसे कार्य करते हैं। ऊर्जा, शक्ति और कार्य – ये विषय हमें विज्ञान और गणित के क्षेत्र में अध्ययन करने का मौका देते हैं, जिससे हम इन तीनों के संबंध में गहराई से समझ सकें। इस लेख में, हम ऊर्जा, शक्ति और कार्य के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे, उनके महत्व को समझेंगे, और इनका उपयोग अलग-अलग परिस्थितियों में कैसे किया जा सकता है।
कार्य की अवधारणा
कार्य को सामान्यत: वह प्रक्रिया या गतिविधि कहा जाता है जिससे किसी वस्तु की स्थिति में परिवर्तन होता है। यह वस्तु संभावनात: आरामदायक, आवश्यक, या अनुपयुक्त रूप में बदल सकती है। दूसरे शब्दों में, कार्य करने के लिए बल लगाना आवश्यक है और बल की दिशा में गति या विस्थापन होना चाहिए। किसी वस्तु पर लगने वाले बल द्वारा किया गया कार्य बल की दिशा में चली गई दूरी से गुणा किए गए बल के परिमाण के बराबर होता है।
उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जब एक दीवार को खोदता है, तो उसे दीवार की स्थिति में परिवर्तन करने के लिए काम किया जाता है। यहां, दीवार को खोदना कार्य है, जिससे दीवार की स्थिति में परिवर्तन होता है।
कार्य के सूत्र और इकाई
किसी बल द्वारा किया गया कार्य दो कारकों पर निर्भर करता है:
- बल की मात्रा
- दूरी (जिसके माध्यम से वस्तु बल की दिशा में गतिमान होती है)
इसलिए, कार्य को बल एवं बल की दिशा में वस्तु के विस्थापन के गुणनफल द्वारा मापा जाता है। कार्य का केवल परिमाण होता है, कोई दिशा नहीं। अतः कार्य एक अदिश राशि है। कार्य की SI इकाई जूल (J) होती है।
कार्य = बल X दूरी (बल की दिशा में तय की गई दूरी) = F X S
और गहराई से समझें तो किसी बल द्वारा किया गया कार्य विस्थापन की दिशा में बल के घटक (क्षैतिज घटक) और इस विस्थापन के परिमाण के गुणनफल के रूप में परिभाषित किया जाता है। जब किसी वस्तु पर F बल लगाने से वह S दूरी तक विस्थापित होती है, तब
कार्य (W) = F X S = F . S Cosθ
जहां θ = बल और विस्थापन के बीच का कोण है।
ऊर्जा की अवधारणा
ऊर्जा को सामान्यतः किसी कार्य को करने की क्षमता या कार्यशीलता के रूप में परिभाषित किया जाता है। यह सांद्रता, शक्ति या किसी प्रकार की गतिशीलता होती है जो किसी प्रक्रिया या परिवर्तन को लाने में या उसके साथ संबंधित होती है। दूसरे शब्दों में ऊर्जा कार्य करने की क्षमता है। उदाहरणः गति ऊर्जा, ऊर्जा का आवाहन, ऊर्जा का उत्पादन, ऊर्जा का संग्रह, ऊर्जा का उपयोग, आदि।
ऊर्जा के प्रकार
कुछ अन्य प्रकार की ऊर्जा नीचे दी गयी है:
- यांत्रिक ऊर्जा
- यांत्रिक तरंग ऊर्जा
- रसायन ऊर्जा
- विद्युत ऊर्जा
- चुंबकीय ऊर्जा
- विकिरण ऊर्जा
- नाभिकीय ऊर्जा
- आयनन ऊर्जा
- प्रत्यास्थ ऊर्जा
- गुरुत्वाकर्षण ऊर्जा
- तापीय ऊर्जा
- ऊष्मा ऊर्जा
ऊर्जा के सूत्र और इकाई
किसी वस्तु द्वारा स्वयं पर किए गए कार्य से उत्पन्न ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा कहते हैं। इसके दो प्रकार होते हैं:
स्थितिज ऊर्जा (P.E.)
स्थितिज ऊर्जा एक प्रकार की प्रेरित ऊर्जा है जो किसी वस्तु के स्थितिगत स्थिति में होती है। इसका अर्थ है कि अपने स्थान या आकार के कारण किसी वस्तु में कार्य करने की क्षमता या किसी वस्तु की स्थिति या आकार के कारण उसमें उत्पन्न ऊर्जा को हम स्थितिज ऊर्जा कहते हैं। उदाहरण के लिए– संकुचित धागे की ऊर्जा, ऊंचाई पर एकत्रित जल की ऊर्जा, एक घड़ी में लगे स्प्रिंग की ऊर्जा आदि पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में किसी वस्तु की स्थितिज ऊर्जा
P.E. = m x g x h
जहां m = द्रव्यमान
g = गुरूत्वीय त्वरण
h = पृथ्वी के सतह से वस्तु की ऊंचाई है।
गतिज ऊर्जा (K.E.)
किसी वस्तु में उसकी गति के कारण उत्पन्न ऊर्जा को गतिज ऊर्जा कहते हैं। यदि m द्रव्यमान की वस्तु v गति से गतिशील है तो वस्तु की गतिज ऊर्जा
K.E = (1/2)mv2
ऊर्जा एक अदिश राशि है अर्थात इसमें सिर्फ परिमाण होता है दिशा नहीं होती है। इसका SI इकाई जूल होती है। कार्य या ऊर्जा की इकाई जूल का नाम ब्रिटिश भौतिकशास्त्री “जेम्स प्रेस्कॉट जूल” के नाम पर रखा गया है।
शक्ति की अवधारणा
शक्ति एक भौतिक अवधारणा है जिसके संदर्भ और उपलब्ध जानकारी के आधार पर कई अलग-अलग अर्थ हैं। हम शक्ति को कार्य करने की दर के रूप में परिभाषित कर सकते हैं, और यह प्रति इकाई समय में व्यय होने वाली ऊर्जा की मात्रा है।
शक्ति के सूत्र और इकाई
शक्ति कार्य करने की दर है। अतः किये गये कार्य को समय से विभाजित करके इसकी गणना की जा सकती है। शक्ति का सूत्र नीचे दिया गया है।
शक्ति (P) = किया गया कार्य / कार्य करने में लगा समय = W / t
इसके अतिरिक्त, कार्य करने में कार्य के बराबर मात्रा में ऊर्जा व्यय होती है। इसलिए, शक्ति को ऊर्जा के व्यय या उपयोग के दर के रूप में भी परिभाषित किया जाता है।
शक्ति (P) = ऊर्जा खपत/ ऊर्जा खपत करने में लगा समय = E/t
क्योंकि शक्ति की कोई दिशा नहीं होती, यह एक अदिश राशि है। शक्ति की SI इकाई जूल प्रति सेकंड (J/s) है, जिसे वाट भी कहा जाता है।
शक्ति की अन्य इकाइयाँ
- 1 वाट = 1 जूल/सेकेंड
- 1 किलोवाट (KW) = 103 वाट
- 1 मेगावाट (MW) = 106 वाट
- 1 अश्व शक्ति (Horse power) = 746 वाट = 0.75 किलोवाट (0.75 KW)
- 1 वाट सेकेंड = 1 वाट x 1 सेकेंड
- 1 वाट घंटा (Wh) = 3600 जूल
- 1 किलोवाट घंटा (kWh) = 3.6 x 106 जूल
ऊर्जा संरक्षण का सिद्धांत
ऊर्जा को न तो बनाया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है, और इसे केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है।
ऊर्जा रूपान्तरण के कुछ उपकरण
उपकरण
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ऊर्जा का रूपान्तरण
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डायनेमो
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यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में
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मोमबत्ती
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रसायनिक ऊर्जा को प्रकाश एवं ऊष्मा ऊर्जा में
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माइक्रोफोन
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ध्वनि ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में
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लाउडस्पीकर
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विद्युत ऊर्जा को ध्वनि ऊर्जा में
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सौर सेल
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सौर ऊर्जा/प्रकाश ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में
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ट्यूबलाइट
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विद्युत ऊर्जा को प्रकाश ऊर्जा एवं ऊष्मा ऊर्जा में
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बिजली का बल्ब
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विद्युत ऊर्जा को प्रकाश ऊर्जा एवं ऊष्मा ऊर्जा में
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बैट्री
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रसायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में
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बिजली का मोटर
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विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में
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सितार
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यांत्रिक ऊर्जा को ध्वनि ऊर्जा में
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